सितारगंज। बैगुल डैम की भूमि में लम्बे समय से बसे ग्रामीणों ने सीएम से मालिकाना हक दिए जाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि डैम की निष्प्रायोजित भूमि में आधा दर्जन से अधिक गांव बसे है। जिनमें लाखों की आबादी निवास करती है। लेकिन उन्हें अभी तक भूमि में खेतीबाड़ी के बावजूद स्वामित्व का अधिकार नही दिया गया है।
ग्रामीणों ने एसडीएम को बताया कि बैगुल जलाशय के निर्माण के दौरान सरकार ने कुछ भूमि वन व राजस्व से अधिग्रहित की है। लेकिन ग्रामीणों को अन्यत्र नही बसाया गया था। इस कारण ग्रामीण छह दशक से अधिक समय से जलाशय की निष्प्रयोजित भूमि में खेतीबाड़ी करते आ रहे है। ग्रामीणों को सरकार ने उस भूमि पर वोटरकार्ड, राशनकार्ड, सड़क, स्कूल व स्वास्थ्य आदि तमाम तरह की सुविधाएं भी उपलब्ध करायी है। इसके अलावा छह गांवों को ग्रामसभा का दर्जा भी प्राप्त है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1958 से 1963 तक राजस्व अभिलेखों में भूमिबंजर, नदी, गूल, दीगर दरख्तान के रुप में दर्ज रही। वर्ष 1964 से 1975 तक जमीन सिंचाई विभाग के स्वामित्व के प्रबधंन में रही। इसके बाद तराई के समस्त सात जलाशयों की भूमि वर्ष 1973 से पूर्व बसे परिवारों के हक में भूनियमितीकरण एवं पट्टा निर्गत करने का शासनादेश पारित हुआ। ग्रामीणों नेकहा कि लगातार काबिज रहने के कारण वे भूमि पर मालिकाना हक प्राप्त करने के पात्र है। उन्होंने मुख्यमंत्री से भूमि में मालकाना हक दिए जाने की मांग की। इस मौके पर योगेंद्र यादव, राजेश, छेदीलाल, देवसरन, श्याम सुंदर, मुकेश कुमार, हरनाम सिंह, हरिशंकर, शम्भूप्रसाद आदि मौजूद थे।