18 वर्षों से सड़क निर्माण कार्य को तरस रहे पौड़ी जिले के जयहरीखाल ब्लॉक स्थित ग्राम मठाली के ग्रामीणों की जब सरकार से सारी उम्मीदें टूट गईं तो आखिरकार उन्होंने खुद ही गैंती-फावड़े उठा गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने का बीड़ा उठा लिया। 18 वर्षों से सड़क की बाट जोह रहे ग्रामीणों के लिए लॉकडाउन अवधि भी एक तरह से वरदान साबित हुई।
लॉकडाउन में घर वापसी करने वाले 60 लोगों ने दिल्ली समेत अन्य राज्यों में रह रहे प्रवासियों से संपर्क कर सड़क बनाने के लिए मदद मांगी। जिसके फलस्वरूप सड़क निर्माण के लिए लगभग 3.5 लाख की धनराशि जमा हो गई। सड़क काटने का कार्य 20 जून से शुरू होकर तीन जुलाई तक चला। जिसके बाद महज 14 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद एक किमी तक सड़क का निर्माण सफलतापूर्वक हो पाया। जिसे देख पूरे गांव में खुशी की लहर बनी हुई है।
ग्राम मठाली में तकरीबन 70 परिवार निवास करते हैं। ढौंटियाल-बसड़ा-पीपलचौड़ मोटर मार्ग से इस गांव की दूरी महज एक किमी है, लेकिन विडंबना देखिए कि सड़क के लिए सर्वे शुरू किया गया घांघली से, जहां से मठाली की दूरी 12 किमी है। वर्ष 2002 में शासन ने घांघली-संदणा-मठाली मोटर मार्ग को स्वीकृति प्रदान करते हुए इसके निर्माण का जिम्मा लोनिवि लैंसडौन खंड को सौंपा। सर्वे व अन्य कार्यों के लिए प्रथम चरण में 56 लाख की धनराशि अवमुक्त हुई। इसके बाद निर्माण के लिए समय-समय पर धनराशि अवमुक्त होती रही। बावजूद इसके 18 सालों में सड़क के महज सात किमी हिस्से में ही कार्य हो पाया। पहले तीन किमी में सड़क को डामर बिछाने लायक बना दिया गया है, जबकि तीन से सात किमी में कटान होने के बाद अब द्वितीय चरण का कार्य होना है। शेष सात से 12 किमी में अभी शुरुआती कार्यों के लिए ही निविदाएं आमंत्रित हुई हैं।
वहीं जनसेवा मंच लैंसडौन की ओर से सड़क खुदान कार्य में ग्रामीणों द्वारा व्यय की गई धनराशि को वापस लौटाने की मांग सरकार से की गई है। मंच की ओर से मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा गया है कि सरकार कटान कार्य का सर्वे करवाकर पूर्व में हुए टेंडर निरस्त करे और सड़क पर व्यय हुई धनराशि ग्रामीणों को वापस लौटाई जाए।