आशाराम पोखरियाल
थलीसैंण : समाज सेवी व मोहन काला फाण्डेशन के संचालक मोहन काला ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कहा कि लगभग 53 वर्ष पूर्व 1967 में भारत ने सिक्किम के नाथुला इलाक़े में चीन के लगभग 400 सैनिकों को मौत के घाट उतारा था और चीन को उस समय बहुत बड़ा नुक़सान उठाना पड़ा था। तब कहा जाता है भारत ने 1962 युद्ध का कुछ हद तक बदला ले लिया था। और 1975 में भी हालात ऐसे ही थे।
वहीं अब 15-16 जून, 2020 को चीन ने भारतीय सेना के ऊपर धोखे से हमला किया जिससे भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एल ऐ एसी) पर गलवान घाटी में मां भारती की सुरक्षा हेतु हमारे कुछ जवान शहीद हुए। उन्होंने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमें उन सभी जांबाज़ भारतीय ऑफिसर और जवानों के अदम्य साहस, देशभक्ति, बलिदान पर गर्व है जिन्होंने अपने देश की सीमा पर तैनात होकर देश की रक्षा के लिए अपनी जान न्यौछावर की और धोखेबाज़ चीन की कायर सेना को उनकी औकात बता कर मौत के घाट उतार दिया।