देशभर से सोमवती अमावस्या के दिन हरिद्वार में लाखों श्रद्धालु पहुंचते थे और स्नान कर के मां गंगा का आशीर्वाद लेते थे। यहां का नज़ारा देखने लायक होता था लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं दिखा। कोरोना महामारी की जबदस्त मार ने हर पर्व, हर त्योहार की जैसे रौनक ही छीन ली हो। हरिद्वार में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। कांवड़ यात्रा तो पहले ही रद्द हो चुकी है और अब सोमवती अमावस्या के दिन भी हर की पौड़ी समेत तमाम घाटों पर सन्नाटा पसरा है। कोरोना संक्रमण को मद्देनजर रखते हुए स्नान पर्व स्थगित कर दिया गया है। श्रद्धालुओं की आवाजाही रोकने के लिए हरिद्वार में धारा 144 लगाई गई है। हरिद्वार की सीमाएं सील हैं। सोमवती अमावस्या के मौके पर दूसरे राज्यों से श्रद्धालुओं के हरिद्वार आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
प्रशासन ने ओर से इस संबंध में पहले ही चेतावनी जारी कर दी गई थी। अगर इसके बावजूद भी कोई श्रद्धालु चोरी-छिपे हरिद्वार आएगा तो उसे 14 दिन के लिए क्वारेंटीन किया जाएगा। सोमवती अमावस्या के दिन श्रद्धालु स्नान और विशेष पूजा के लिए हरिद्वार पहुंचते हैं, लेकिन इस बार यहां सोमवार को अस्थि विसर्जन के साथ-साथ कर्मकांड पर पूरी तरह पाबंदी लगाई गई है। सोमवती अमावस्या के दिन स्थानीय श्रद्धालु भी हर की पैड़ी पर स्नान नहीं कर सकेंगे, यहां लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित है। हर की पैड़ी के चारों तरफ बैरिकेडिंग लगाई गई है। सोमवती अमावस्या पर हरिद्वार जिले की सभी सीमाएं सील हैं, ताकि दूसरे राज्यों से श्रद्धालु उत्तराखंड ना आ सकें।
आज सुबह कुछ श्रद्धालुओं ने हरिद्वार में दाखिल होने की कोशिश भी की थी, लेकिन इन्हें बॉर्डर से ही वापस लौटा दिया गया। श्रद्धालु सीमावर्ती गांवों से चोरी-छिपे हरिद्वार में दाखिल ना हो सकें, इसका भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। प्रशासन ने बाहरी श्रद्धालुओं के लिए चेतावनी जारी की है। कोरोना के खतरे को देखते हुए इस बार कांवड़ मेला रद्द कर दिया गया है। साथ ही सोमवती अमावस्या पर हर की पैड़ी में स्नान पर भी रोक लगाई गई है। स्नान पर्व स्थगित होने के बाद भी अगर कोई श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचता है तो उसे अपने खर्च पर 14 दिन के लिए क्वारेंटीन होना पड़ेगा। साथ ही इनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा।