कानपुर का कुख्यात अपराधी विकास दुबे, जो की पूर्व में भी कई सघन वारदातों को अंजाम दे चुका है को कथित पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने की ख़बर उत्तराखंड के देहरादून में हुए 11 साल पहले रणबीर एनकाउंटर की याद दिला गया। वहीँ जनपद हरिद्वार में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वांछित अपराधी काफ़ी समय से पुलिस प्रशासन के लिए मील का पत्थर साबित हो रहे हैं हैं। वर्तमान में भी सुनील राठी, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा जैसे कुख्यात अपराधी अपने कुकृत्यों के चलते आए दिन चर्चाओं में बने रहते हैं। वहीँ अगर रुड़की की बात करें तो वहाँ भी आजकल कुख्यात प्रवीण वाल्मीकि नाम भी काफ़ी उछल रहा है । हालाँकि राज्य गठन के बाद हरिद्वार पुलिस और एसओजी ने सख़्त कार्यवाही करते हुए ताबड़तोड़ मुठभेड़ को करित कर कई कुख्यातों को ढ़ेर किया है, लेकिन साल 2009 के बाद से ऐसी कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई जिसमें कोई अपराधी मारा गया हो।
इसका मुख्य कारण शायद ये भी है कि, 11 साल पहले हुए रणबीर एनकाउंटर में इंस्पेक्टर सहित कई पुलिसकर्मियों को सजा मिली थी, जिसके बाद से उत्तराखंड पुलिस ने इस तरह की मुठभेड़ से खुद को दूर रखना ही बेहतर समझ लिया था । वहीं, शुक्रवार को जब खबर मिली कि कानपुर में पांच लाख रुपये के इनामी विकास दुबे को यूपी पुलिस ने कथित मुठभेड़ में मार गिराया है तो कुछ सेवारत और सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी सोशल मीडिया पर यूपी पुलिस के पक्ष में खड़े दिखे। उन्होंने विकास दुबे एनकाउंटर को लेकर यूपी पुलिस पर उठ रहे सवालों मुँहतोड़ जवाब देते हुए पुलिस का बचाव भी किया।
उल्लेखनीय है कि राज्य गठन के बाद वर्ष 2008 तक ताबड़तोड़ एनकाउंटर हुए। इस दौरान करीब 32 एनकाउंटरों में 48 अपराधी मारे गए। सूबे के मौजूदा डीजीपी (कानून व्यवस्था) अशोक कुमार के पुलिस कप्तान एवं मौजूदा आईजी अभिनव कुमार के कार्यकाल में सबसे अधिक एनकाउंटर हुए। राज्य गठन से ठीक पहले कुख्यात उदयराज सैनी मारा गया। फिर उसके गैंग के मनोज सैनी, शशि सैनी को पुलिस ने ठिकाने लगाया। यहां से शुरू हुआ एनकाउंटर का सिलसिला वर्ष 2008 तक चला। इस दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा के साथ ही हरिद्वार जिले के भी कई कुख्यातों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया।
हालाँकि ये भी कहना गलत नहीं होगा कि एनकाउंटरों पर रोक लगने के उपरांत जनपद में अपराधियों के हौंसले भी बुलँद हुए हैं। वहीं कानपुर में पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद से गिरफ्तारी और कथित मुठभेड़ में मारे जाने तक गैंगस्टर विकास दुबे गूगल ट्रेंड पर छाया रहा। पिछले एक सप्ताह में लोगों ने उसके बारे में जानकारी जुटाने के लिए गूगल पर सबसे अधिक सर्च किया है। गूगल ट्रेंड के आंकड़ों बताते हैं कि, कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी विकास दुबे का आपराधिक इतिहास जानने से लेकर पल-पल की खबर रखने के लिए देशभर के लोगों ने सर्च किया।