लोक संहिता डेस्क
पौड़ी गढ़वाल : वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरे देश में भय का माहौल बना दिया है। जिस कारण अब लोग बाहरी राज्य से आने वाले लोगो से दूरी बना रहे है। देवभूमि उत्तराखंड जहां अतिथि देवो भव: का मूल आत्मसात किया जाता है। वहाँ भी कोरोना संकट काल में गांव के लोग अपने ही गाँव के बाहर से आ रहे प्रवासियों से इस तरह का व्यवहार कर रहे हैं कि जिसके बारे में कभी किसी ने सोचा न होगा।
जानकारी देते हुए समाजसेवी जगमोहन डांगी ने बताया कि विगत माह दिल्ली से 79 वर्षीय बुजुर्ग लुंथी सिंह लिंगवाल पत्नी दमयंती, एक अन्य 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला सत्यभामा व सुनीता देवी के साथ अपने गाँव कंडोलस्यूं पट्टी के ग्राम खड़कोला पहुंचे तो अपने ही गांव के लोग बुजुर्ग दम्पति के लिए अनजाने हो गए। कोई भी उनसे मिलना तो दूर उनके साथ बात करने तक को तैयार नहीं हुआ। बुजुर्ग दम्पति सड़क से अपना सामान गांव तक नहीं ले जा सके। परन्तु किसी ने भी मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया, आखिरकार गांव में मजदूरी कर रहे बिहारी मजदूरों ने उनका सामान गांव तक पहुंचाया।
बुजुर्ग दम्पति दमयंती देवी एवं उनके पति लुत्थी सिंह लिंगवाल को 14 दिन की जगह 21 दिन होम क्वारंटाइन करवाया गया। जबकि उनका स्वयं का घर एकांत में है और उनके अगल-बगल के सभी घर खाली हैं। लेकिन उनके साथ इस तरह का व्यवहार किया गया जैसे कोई सजा याफ्ता मुलजिम हो। बुजुर्ग दम्पति को क्वारंटाइन के दौरान पीने के पानी के लिए भी बड़ी परेशानी उठानी पड़ी। क्वारंटाइन के दौरान काफी दूर से पानी लाते वक्त बुजुर्ग लुत्थी सिंह लिंगवाल गिर भी गए, जिससे उनका दाहिना हाथ फ्रैक्चर हो गया। हालांकि बाद में ग्राम प्रधान ने उन्हें जिला अस्पताल पहुंचाया। जहां प्लास्टर लगाने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।
जगमोहन डांगी ने बताया कि इस बारे में जब उनके द्वारा नोडल अधिकारी कुलदीप सुमन से बात की तो उनका का कहना था कि उनको इसकी जानकारी नहीं है। होम क्वारंटाइन की सूचना सहायक नोडल अधिकारी एवं ग्राम प्रधान ही उपलब्ध कराते हैं। वहीं ग्राम प्रधान खड़कोला गुडडू सिंह का कहना था कि 8 जून को नई गाइड लाइन आ गयी थी जिसमें 21 दिन होम क्वारंटाइन होना था। उसी के मुताबिक बुजर्ग दम्पति को होम क्वारंटाइन करवाया गया।