पौड़ी : 19 सालों में भी नहीं बदली, पहाड़ों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की सूरत

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डीपीएस रावत (यू०के०डी)

पौड़ी : विधानसभा प्रभारी चौबट्टाखाल व पूर्व लोकसभा पौड़ी प्रत्याशी इं० डीपीएस रावत ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति मे कहा कि पहाड़ों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के हालात आज भी ठीक 19 सालो मे नहीं बदले। बदला तो सिर्फ नेता। बता दें जिला पौड़ी गढ़वाल ब्लॉक रिखणीखाल ग्राम वयेला तल्ला निवासी स्वाति ध्यानी w/o राजेंद्र ध्यानी को प्रसव पीडा होने पर 28 जून रात 12 बजे के आसपास रिखणीखाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। जहा डाक्टरों द्वारा बताया गया कि अभी हल्का दर्द है । पूरी रात बीत गई अगले दिन दोपहर एक बजे के लगभग स्वाति ध्यानी को डिलीवरी के लिए लेबर रूम में ले जाया गया, उसके बाद तीन बजे के लगभग डिलीवरी हुई स्वाति ध्यानी की । जो कि मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ।

इस बीच हॉस्पिटल का हर कर्मचारी स्वाति ध्यानी के घर वालों को आश्वस्त करता रहा कि स्वाति की स्थिति बिल्कुल सामान्य है। घबराने की आवश्यकता नहीं है और स्वाति ध्यानी के घर वाले और गांव वाले भी अपने दिलों पर पत्थर रख कर एक दूसरे को सांत्वना दें रहे थे, कि बच्चा हमारी किस्मत में नहीं था बस स्वाति बच गई है। लेकिन अचानक ठीक उसी दिन पांच बजे के आसपास डाकटरो द्वारा ये कहा जाता है कि स्वाति को कोटद्वार रैफर करना पड़ रहा है ।

आनन फानन में 108 की व्यवस्था की जाती है। और 108 सरकारी एम्बुलेंस रिखणीखाल से कोटद्वार मार्ग पर सिर्फ ब्लॉक-ब्लॉक बदलती रह गई और स्वाति के शरीर से अत्यधिक रक्तस्राव हो गया है और शरीर में सारा खून ख़त्म हो गया, अंत मे स्वाति ने कोटद्वार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मे आख़री सांस ली। अब सवाल यह उठता हैं कि क्या 108 रवाना होने से पहले डॉ राशिद खान को जब पूछा क्या कंडीशन हैं तो बताया गया कि कुछ नहीं ये थोड़ा घबरा गई है ठीक हो जाएगी फिर ऐसा क्या हुआ कि 20 से 25 मिनट में ही अत्यधिक रक्तस्राव होने लगा।

रात बारह बजे से अगले दिन डिलीवरी होने तक क्या डॉक्टर को ये पता नहीं चला कि कंडीशन क्रिटिकल है जबकि सच बात तो ये है कि स्वाति के घर वालों द्वारा बार-बार पूछा गया कि अगर नहीं हो पाएगा तो हम आगे ले जाते है लेकिन उन्हें बताया गया कि नार्मल हो जाएगी। 28 तारीख़ से अगले दिन डिलीवरी होने से कुछ देर पहले ही पेशेन्ट को देखने आया जबकि अस्पताल इतना बड़ा भी नहीं है कि वहां मरीज भरे पड़े हो पर सच तो ये है कि डॉ साहब को बुलाने से पहले सफाई कर्मचारी एवं अन्य लोगों की मिन्नतें करनी पड़ती है।

दुर्भाग्य तो ये है कि 29 तारीख़ को डिप्टी सीएमओ भी रिखणीखाल अस्पताल में थे लेकिन उन्हें इस बात का पता ही नहीं था सच तो ये है कि उन्हें बताया नहीं गया और अगर बताया गया था तो उन्होंने संज्ञान क्यों नहीं लिया। हद की बात तो ये है कि जब डाक्टरों द्वारा स्वाति को जब रैफर करना था तब किया नहीं और जब उसे डॉ की आवश्यकता थी तब मरने के लिए रैफर कर दिया कोटद्वार !

यूकेडी डेमोक्रेटिक इस तरह की घटना की निंदा भी करता हैं और सरकार के खिलाफ कार्यवाही करने हेतु जिला अधिकारी को ज्ञापन भी देगी । प्रशासन विज्ञापन पर करोड़ो रुपये खर्च करने के बाद भी हवाई एम्बुलेंस सेवा नहीं उतार पाई और यह सेवा कब काम आएगी । सरकार जमीन पर कब लोगो के हित मे आएगी।

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