देहरादून : उत्तराखंड में कोरोना टैस्टिंग की संख्या तो अवश्य बढ़ाई है पर विशेषज्ञों की नज़र में टैस्टिंग की संख्या अब भी पर्याप्त नहीं है। पहले लगभग आठ सौ से लेकर एक हजार टैस्ट प्रतिदिन किए जा रहे थे। अब यह संख्या बढ़ाकर लगभग दो हजार प्रतिदिन जा पहुंची है। अब तक प्रदेश में कुल 86,458 लोगों की कोरोना टैस्टिंग हुई है जिनमें से कुल 3305 लोगों की टैस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। यानि कि टैस्ट किए जा रहे लोगों में लगभग चार फीसदी कोरोना पॉजिटिव निकल रहे हैं। हालांकि शुक्रवार को कुल 2097 सैंपल टैस्टिंग के लिए भेजे गए और दोपहर तक कुल 250 लोगों की रिपोर्ट आनी बाकी थी जबकि कुल 1689 लोगों की रिपोर्ट सरकारी लैब्स से नेगेटिव आई है और 158 की रिपोर्ट निजी लैब्स से नेगेटिव आई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड को प्रतिदिन कम से कम चार हजार टैस्ट प्रतिदिन करने की आवश्यता है। यही नहीं राज्य को टैस्टिंग रिपोर्ट जारी करने की गति बढ़ाने की भी तत्काल आवश्यकता है। शुक्रवार शाम तक कुल 5574 लोगों की टैस्ट रिपोर्ट्स आनी बाकी हैं। यानि कि सही सही इस बात का अंदाज़ लगाना आसान नहीं है कि कितने लोग पॉजिटव पाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का मानना है कि कई मामलों में तो बाहरी लोगों के प्रवेश के बाद किए गए टैस्टिंग की रिपोर्ट डेढ़ माह बाद भी आनी बाकी है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर इनमें से कुछ लोग पॉजिटिव निकलते हैं तो अब तक वे कितने और लोगों को संक्रमित कर चुके होंगे।
यह भी एक तथ्य है कि राज्य में हर रोज खासी संख्या में पॉजिटिव निकल रहे हैं और इनमें ऐसे लोग भी हैं जिनकी कोई ट्रैवल हिस्टरी नहीं है या कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग नहीं हो पाई है। यानि कि यह तय करना मुश्किल है कि उन्हें संक्रमण कैसे हुआ। सवाल यह उठता है कि कहीं यह सामुदायिक प्रसार की शुरुआत तो नहीं।
यह लगभग सर्वमान्य तथ्य है कि सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनकर रखने व सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करने से संक्रमण का प्रसार 95 फीसदी तक रोका जा सकता है। पर अब लोगों व शासन प्रशासन में भी इनके अनुपालन में पहले जैसी सख्ती व जन-अनुशासन दिखाई नहीं दे रहा।
राहत की बात यह है कि कई जनपदों में पिछले कई दिनों से कोई नया केस सामने नहीं आया है। पर किसी भी प्रकार की लापरवाही घातक सिद्ध हो सकती है। राहत की बात यह भी है कि प्रदेश में रिकवरी रेट काफी सुधर गया है। वर्तमान में रिकवरी रेट 85 फीसदी चल रहा है। यानि कि कोरोना से ठीक होने वाले लोग 85 फीसदी हैं। इसीलिए राज्य में कुल 3305 पॉजिटिव केस होने के बावजूद एक्टिव केसों की संख्या अब केवल 558 रह गए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि कोरोना वायरस की घातकता कुछ कमजोर पड़ी है। लेकिन यह समय लापरवाह हो जाने का कतई नहीं है अन्यथा स्थिति तेजी से भयावह हो सकती है।