गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में अंग्रेजी नववर्ष पर कैसा हर्ष विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।
वैदिक प्रवक्ता आचार्य हरिओम शास्त्री ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप में ही पूरे वर्ष में छ: ऋतुएं आती हैं। यहां के हम निवासियों का सौभाग्य है। नये वर्ष का अर्थ सब तरफ नवीनता ही नवीनता रहे। उन्होंने कहा कि हम भारतीय अपने धर्म, अपने धार्मिक ग्रंथों, अपने महापुरुषों, अपनी संस्कृति और अपने नववर्ष को भी आज भूल चुके हैं। हमारा नववर्ष तो वर्ष भर की छ: ऋतुओं में प्रथम ऋतुराज वसंत के आगमन पर विक्रम संवत् के प्रथम दिन अथवा चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को आता है। उस समय विद्यालयों में बच्चों की नयी कक्षाएं प्रारंभ होती हैं। पेड़ों पर नये फूल और फल आ रहे होते हैं। पौधों पर नई कलियां और फूलों की महक बिखरती है। किसानों के खेतों में नई फसल तैयार हो जाती है। पेड़ों के पुराने पत्ते झड़ते हैं और उनके स्थान पर नये पत्ते आ रहे होते हैं। आम की मंजरियों की सुगंध से केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि कोयलें भी मस्त होकर कूं कूं की बोली से वातावरण को मधुमय बना देती हैं, इसलिए कवि कह उठते हैं-आए महन्त बसन्त। कवि ने यहां बसंत ऋतु को महन्त और ऋतुओं का राजा कहा है। वेद कहते हैं-ओ३म् यत् पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत। वसन्तो ऽस्यासीदाज्यं ग्रीष्मइध्म: शरद्हवि:।। अर्थात् जब विद्वान लोग परमात्मा के साथ मान संज्ञान यज्ञ को विस्तृत करते हैं, तब इस यज्ञ के वसन्त को घी, ग्रीष्म ऋतु को इंधन (समिधा) और शरद को हवन सामग्री के रूप में प्रयोग करते हैं। यज्ञ में जो महत्वपूर्ण स्थान घी का होता है। वही स्थान वसन्त ऋतु का है। तभी से हमारे संसार में नयापन आता है, इसलिए हमें पहली जनवरी को नववर्ष के रूप में न मानकर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वसन्त ऋतु से नववर्ष मानना व मनाना चाहिए। यही हमारी भारतीय और वैदिक परम्परा तथा संस्कृति है। हमें इस पर श्रद्धा और गर्व करना चाहिए कि हम भारतीयों की परम्परा वैदिक और वैज्ञानिक है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि हमें अपनी मातृ संस्कृति का सम्मान करते हुए भारतीय नववर्ष विक्रमी संवत् को उत्साहपूर्वक मनाया चाहिए। वही मुख्य अतिथि आर्य नेता विद्या भूषण आर्य व अध्यक्ष कृष्णा पाहुजा ने भी नई युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से परिचय कराने व गर्व करने का आ”ान किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान गायिका कमलेश चांदना, ईश्वर देवी, कमला हंस, जनक अरोड़ा, प्रतिभा कटारिया, कृष्णा गांधी, रविन्द्र गुप्ता, संतोष धर, संतोष सचन, प्रवीणा ठक्कर आदि ने मधुर भजन गाए।
भारतीय नववर्ष वैदिक और वैज्ञानिक है : आचार्य हरिओम शास्त्री

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