विशाल पशु चिकित्सा एवं आयुर्वेद के अंतरराष्ट्रीय आयुरवेट कॉन्क्लेव का शुभारंभ

विशाल पशु चिकित्सा एवं आयुर्वेद के अंतरराष्ट्रीय आयुरवेट कॉन्क्लेव का शुभारंभ
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हरिद्वार। दीनदयाल कामधेनु गौशाला समिति एवं उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में विशाल पशु चिकित्सा एवं आयुर्वेद के अंतरराष्ट्रीय आयुरवेट कॉन्क्लेव 2023 का शुभारंभ भव्य तरीके से किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक सुरेश जोशी रहे, डॉक्टर संजीव बालियान पशु एवं पशुधन मंत्रालय केंद्रीय राज्य मंत्री, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय गौ प्रमुख शंकर लाल, क्षेत्र प्रचारक महेंद्र जी, प्रोफेसर सुनील जोशी कुलपति उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, अभिजीत बत्रा कमिश्नर पशु धन मंत्रालय डॉ0 चिन्मय पंडया प्रति कुलपति देव संस्कृति विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय गौ प्रशिक्षण प्रमुख राघवन डॉक्टर हेमेंद्र यादव आदि वरिष्ठ अतिथि के रुप में उपस्थित रहे। इस मौके पर दीनदयाल कामधेनु गौ सेवा संस्थान के उप मंत्री एवं इस कार्यक्रम के संयोजक डॉ0 हेमंत यादव ने इस विश्व में प्रथम बार आयोजित आयुर्वेद कॉन्क्लेव की संकल्पना एवं इसकी पृष्ठभूमि तथा इसके द्वारा किए गए विभिन्न सारे साइंटिफिक कार्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए इस कार्यक्रम की भूमिका को सबके सम्मुख रखा। इस अवसर पर सुरेश जोशी ने कहा कि पशुधन एवं पशु संपदा हमारी अस्तित्व का मूल आधार है। एवं पशु चिकित्सा के लिए परंपरागत आयुर्वेद एवं वैदिक ज्ञान को समाहित कर के हम मानव कल्याण के लिए एक नई भूमिका तैयार कर सकते हैं। डॉक्टर संजीव बालियान ने कहा मेरा पशु चिकित्सा और आयुर्वेद से गहरा नाता रहा है, हरियाणा पशु चिकित्सा विभाग मैं पशु सर्जन के रूप में कार्यकाल के दौरान मैंने पशुओं की चिकित्सा में बहुत सी कमियों को देखा जिसमें आधुनिक चिकित्सा नहीं काम कर पाते हैं उसमें आयुर्वेद चिकित्सा का बेहतर लाभ मिला है। हमारे अध्ययन और चिकित्सा कार्यकाल के दौरान पशु चिकित्सा शास्त्र में आयुर्वेद को सम्मिलित नहीं किया गया था। 2014 के बाद आयुर्वेद और योग के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के क्रम में अब पशु चिकित्सा शास्त्र में आयुर्वेद को भी सम्मिलित करने का प्रावधान किया गया है पशु चिकित्सा में आयुर्वेदिक औषधियों को सम्मिलित करने हेतु अनुसंधान की नितांत आवश्यकता है जिसके लिए पशुपालन विभाग किसी भी विश्वविद्यालय या व्यक्तिगत वैज्ञानिकों को अनुदान देने के लिए तत्पर है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जोशी ने कहा कि पशुधन का महत्व किसी भी सभ्यता का अभिन्न अंग रहा है। पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल करना उतना ही पुराना है जितना उनको पालने की शुरूआत। प्राचीन आयुर्वेद द्वारा जानवरों के रोगों के प्रबंधन के लिए लगभग 250 औषधीय पौधों और 120 खनिज लवणों का उपयोग करने के संदर्भ हैं। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ0 चिन्मय पांडया ने कहा कि हमें दैविक एवं वैदिक संस्कृति से जोड़ना चाहिए गाय और गायत्री हमारे देश की अमूल्य निधि है हमें गाय और गायत्री के पर अनुसंधान कर के अपने मानव मात्र एवं प्राणी मात्र और पशु मात्र को आयुर्वेद एवं चिकित्सा के विभिन्न विधियों से जोड़ना चाहिए। इस अवसर पर देशभर से पशु चिकित्सा एवं पंच गांव में कार्यरत वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रमुख समाजसेवी सामाजिक कार्यकर्ता, विश्वविद्यालय से जुड़े 19 से अधिक आयुर्वेदिक कॉलेजों के छात्र-छात्राएं पीजी रिसर्च स्कॉलर छात्रों द्वारा 2,000 से अधिक संख्या में लोगों ने प्रतिभाग किया । इस दौरान प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश से पधारे डॉ0 अनुराग शर्मा उपाध्यक्ष उच्च शिक्षा परिषद , अभिषेक गौड़, अंतरराष्ट्रीय संस्था आयुर्वेद के निर्देशक डॉ0 नितिन अग्रवाल, दीनदयाल गौशाला के मंत्री हरि शंकर, डॉ0 शशिकांत कोषाध्यक्ष, प्रबंधक गोपाल राठी, प्रोफेसर अनूप गक्खड़, डॉ0 अवनीश उपाध्याय, डॉ0 राजेश अधाना, डॉक्टर संजय गुप्ता, डॉ0 शैलेंद्र प्रधान, मीडिया प्रभारी डॉ0 राजीव कुरेले, प्रोफेसर अरुण त्रिपाठी डायरेक्टर आयुर्वेद, प्रो0 सत्येंद्र राजपूत, प्रो0 ओपी सिंह, प्रो0 माधवी गोस्वामी आदि उपस्थित रहे।

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