उत्तराखंड में धरती का ताप सबसे अधिक बढ़ा: सुबोध

उत्तराखंड में धरती का ताप सबसे अधिक बढ़ा: सुबोध
0 0
Read Time:4 Minute, 38 Second

वन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि देश में धरती का तापमान उत्तराखंड में सबसे ज्यादा बढ़ा है। उत्तराखंड में यह तापमान 1.17 डिग्री बढ़ गया है। हालांकि उत्तराखंड में 72 प्रतिशत भूभाग वनाच्छादित है। वन मंत्री ने आज ग्राफिक एरा में विभिन्न स्कूलों के बच्चों द्वारा तैयार क्लाइमेट क्लॉक का लोकापर्ण किया।
वन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री उनियाल आज ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में एक अलग तरह के समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। इस समारोह में देहरादून के 49 स्कूलों के बच्चों ने डिजीटल क्लाइमेट क्लॉक असेम्बल की। नन्हें नन्हें हाथों ने तकनीकों के महारथी- सोलर मैन ऑफ इंडिया के रूप में विख्यात आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी के निर्देशन में इस जटिल लगने वाले काम को कुछ ही घंटों में बड़ी कुशलता के साथ अंजाम तक पहुंचा दिया और 49 खूबसूरत क्लाइमेंट क्लॉक तैयार कर ली।
मुख्य अतिथि के रूप में श्री उनियाल ने बच्चों के हाथों से तैयार इन क्लाइमेट क्लॉक्स का लोकापर्ण किया। उन्होंने कहा कि क्लामेट चेंज केवल भारत या उत्तराखंड का मुद्दा नहीं है। यह पूरे विश्व से जुड़ा मुद्दा है। क्लामेट चेंज को रोकने के लिए हर किसी को और हर स्तर पर प्रयास करने चाहिएं। इस लड़ाई को लड़ने के लिए वन सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकते हैं। ग्लेशियर का पिघलना, भू स्खलन, साइक्लोन, वनों का कटान, भूजल का स्तर गिरना, जंगलों की आग आदि क्लामेट चेंज के नतीजे हैं। इस सबको रोकना है, तो समाज का वनों के साथ मजबूत रिश्ता बनाना होगा।
श्री सुबोध उनियाल ने छात्र-छात्राओं से पर्यावरण, वनों और मानवता को बचाने के लिए अपने स्तर से योगदान देने का आह्वान किया। वन मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पानी और ऊर्जा की बचत करने का आह्वान करके एक दिशा दिखाई है। उन्होंने ग्रीन एम्पलाइमेंट और ग्रीन इकनौमी पर भी जोर दिया।
समारोह में ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला ने कहा कि हम आज सचेत नहीं हुए तो भविष्य में कई बड़ी चुनौतियां का सामना नहीं कर पाएंगे। क्लाइमेंट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग ऐसी ही चुनौतियों के रूप में सामने हैं।
आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने कहा कि परिस्थितियां और खराब न हों, इसके लिए हमें स्थानीय स्तर पर उत्पादन करना होगा और अपनी जरूरतों को कम करना होगा। उन्होंने ऊर्जा के उपयोग के लिए एक फार्मूला दिया- एवाइड, मिनिमाइज एंड जनरेट यानि एनर्जी के उपयोग को एवाइड करें, ऐसा न हो पाने पर उसे मिनिमाइज कर दें और खुद उत्पाद करें।
समारोह में ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ संजय जसोला ने स्वागत भाषण किया। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ नरपिंदर सिंह ने आभार व्यक्त किया। उच्च शिक्षा सलाहकार प्रो के डी पुरोहित और कई पदाधिकारियों व शिक्षकों ने भी समारोह में शिरकत की। यह आयोजन एनर्जी स्वराज फाउंडेशन और स्विच ऑन फाउंडेशन के साथ ग्राफिक एरा ने यह आयोजन किया।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

admin

Related Posts

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Read also x