नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज यूनिवर्सिटी (निम्स) कोरोनिल टैबलेट के क्लीनिकल परीक्षण को लेकर जयपुर के चांसलर ने यू टर्न ले लिया हो, लेकिन पतंजलि अपने दावे पर कायम है। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बाल कृष्ण ने दावा किया है कि निम्स में ही औषधियों का क्लीनिकल परीक्षण हुआ है। उन्होंने मीडिया को बयान जारी कर बताया कि निम्स जयपुर में कोरोना संक्रमितों पर श्वसारि वटी और अणु तेल के साथ अश्वगंधा, गिलोय घनवटी और तुलसी घनवटी के घनसत्वों से निर्मित औषधियों का निर्धारित मात्रा में सफल क्लीनिकल परीक्षण किया। इतना ही नहीं 23 जून औषधि प्रयोग के परिणामों को सार्वजनिक भी किया गया।
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि पतंजलि ने रोगियों के बेहतर अनुपालन के लिए इन 3 मुख्य जड़ी बूटियों अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी के घनसत्वों के संतुलित मिश्रण वाली इस कोरोनिल औषधि का विधिसम्मत पंजीयन कराया। पतंजलि ने कोरोना के लिए क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल पूर्ण होने से पहले क्लोरीनिल टैबलेट को क्लीनिकली और लीगली कोरोना की दवा कभी भी नहीं कहा।
इस क्लीनिकल परीक्षण रजिस्ट्री ऑफ इंडिया (सीटीआरआई ) के विषय में विवाद की किसी भी तरह की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें संपूर्ण मानवता को इस कोरोना संकट से बाहर निकालने में संगठित रूप से सदभावनायुक्त मदद करने के लिए आगे आना चाहिए।
जयपुर की निम्स में कोरोना संक्रमितों पर दवा का परीक्षण करने का योगगुरु ने जो दावा किया था, उसी यूनिवर्सिटी के चांलसर डॉ. बीएस तोमर ने गुरुवार रात कहा था कि उनके अस्पताल में किसी दवा का ट्रायल नहीं हुआ था। उन्होंने इम्युनिटी बूस्टर के रूप में अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी का प्रयोग किया था। यह केवल इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए था, कोई इलाज की दवा नहीं थी। निम्स का बाबा रामदेव के साथ दवा बनाने में कोई सहयोग नहीं था