कोटद्वार : कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से जारी देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान मानसिक अवसाद के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं जिस कारण लोग आत्महत्या को समस्या के समाधान के रूप में देख रहे है। गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरे देश को जहां झकजोर कर रख दिया है वहीं कुछ लोग माहामारी के दौरान उत्पन्न समस्याओं के कारण आत्महत्या कर रहे है, जिसके कई मामले पूरे देश से सामने आ रहे है। कोरोना महामारी के संक्रमण के कारण सरकार द्वारा लॉकडाउन किया गया, जिस कारण कई लोगों की नौकरी चली। नतीजन लोगो को शहरों से अपने घरों की ओर रूख करना पड़ा। परन्तु घर आकर भी वह क्या करे शायद यह समस्या उनके सामने आ रही थी। लॉकडाउन के कारण तथा कोई काम न होने के कारण अब लोगों के सामने दो जून की रोटी की समस्या उत्पन्न होने लगी है, तथा उनको मानसिक अवसाद का सामना करना पड़ रहा है। लिहाजा कुछ लोग आत्महत्या को इस समस्या का समाधान सोच कर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर रहे है।
बता दे कि कोटद्वार शहर में भी मानों आत्महत्या का प्रचलन चल रहा हो, शहर में मात्र तीन दिन के अंदर आत्महत्या से चार मौत की खबर सामने आई है। जिसमें एक युवक मात्र 19 वर्ष का था जिसने लॉकडाउन के दौरान नौकरी चले जाने के कारण आत्महत्या कर दी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों को लॉकडाउन के कारण किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं लोगों को इसी प्रकार की कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। परन्तु सवाल तो सीधा सरकार के सामने जाकर खड़ा हो जाता है कि आखिर सरकार इस विकट समस्या में युवाओं के साथ क्यों खड़ी नहीं है। चुनाव के समस्या युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का वादा कर चुनाव जीतने वाली सरकार आखिरकार इस समय युवाओं का साथ क्यों छोड़ रही है। विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा पहले तो नौकरी के लिए फार्म नहीं निकाले जाते है, यदि फॉर्म निकाले भी जाते है तो कई सालों तक परीक्षाएं नहीं कराई जाती है, परीक्षाएं होने के बाद भी युवाओं को सालों तक परिणाम का इंतजार करना पड़ता है।
यही नहीं यदि कोई युवा अपने घरों में खेती कर स्वरोजगार करने का प्रयास करता है तो जंगली जानवारों व कई समस्याएं उनके सामने उत्पन्न हो जाती है। जिस कारण उत्तराखण्ड में निरंत्तर बेरोजगारी की दर बढ़ती जा रही है। युवाओं का कहना है कि स्वरोजगार अपनाने में उनको हानि का सामना करना पड़ता है। ऐसे में वह करे तो क्या? लॉकडाउन की वजह से बढ़ते इस मानसिक स्वास्थ्य संकट से कैसे उबरा जाये से सभी के सामने एक बड़ा प्रश्न है।
क्या कहते है विशेषज्ञ
विशेषज्ञों का कहना है कि हर पांचवां भारतीय किसी न किसी तरह के मानसिक अवसाद से ग्रस्त है। लोगों को अपनी सोच सकरात्मक रखनी होगी। उनको सोचना होगा कि इस संकट में वह अकेले नहीं हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों पर आंख मूंद कर भरोसा करना छोड़ना होगा। किसी भी खबर पर भरोसा करने से पहले उसकी सच्चाई जांचना जरूरी है।