कहते भी हैं कि हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है, इन्ही पंक्तियों को चरितार्थ करती विजया नामक एक महिला की कहानी से आज हम आपको रू-ब-रू करवाने जा रहे हैं। तोे चलिए आपको बताते हैं कि किस तरह एक महिला ने अपने पति की इच्छा को पंख लगाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इस कहानी की शुरूवात होती है साल 2015 से, जिसमें विजय रानी खुद बताती हैं कि उनके पति को इंग्लिष चैनल को तैर कर पार करने की प्रबल इच्छा थी, जिसके लिए वे ट्रेनिग ले रहे थे। जिसके बाद उन्होने अपने पति को सहयोग देने के लिए कुछ पौष्टिक आहारयुक्त स्नैक्स को की तलाश शुरू षुरू कर दी, ताकि ट्रेनिंग के दौरान उनके पति को शारीरिक तंदरुस्ती मिल सके और उनका एनर्जी लेवन बना रहे।
पौष्टिक स्नैक्स की शुरूवात को लेकर विजया आगे बताती हैं कि, मैं एक हेल्दी स्नैक्स की तलाश कर रही थी, जिसमें किसी तरह के प्रिजरवेटिव, कृत्रिम एडिटिव या शुगर न मिले हों। साथ ही जिसका सेवन चलते-फिरते किया जा सके, हालांकि इस तरह के पौष्टिक आहार को तलाश करना मेरे इतना आसान नहीं था।
‘‘विजय का मानना है कि सही पौष्टिक आहार को खोजना और चुनाव करने से पहले सबसे बड़ी चुनौती उनके सेवन से शरीर पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा ये समझने की है‘‘ आगे बताती हैं कि ‘‘मैने खुद से ही नट्स, अनाज और फलों के विभिन्न संयोजनों के साथ प्रयोग करना शुरू कर दिया और इसके लिए कई तरह के पौष्टिक स्नैक्स भी तैयार किए‘‘।
हालांकि, विजया शुरूवात में सिर्फ अपने परिवार के लिए ही इन पौष्टिक उत्पादों को बनाना चाह रही थी, लेकिन जब उन्होने देखा कि उनके दोस्त और रिष्तेदार भी इसी तरह के उत्पादों की खोज में थे तो बस फिर क्या था विजया के बनाए उत्पाद कुछ ही वक्त में उनके परिवार और दोस्तों की जुबां पर चढ़ गये। विजया की इस एक छोटी सी शुरूवात ने कब एक बिजनेस का रूप ले लिया पता ही नहीं चला, आज बेंगलुरू में 5 हजार स्क्वायर फीट की जगह में बने प्राॅडक्शन प्लांट में करीब 15 सदस्यों की टीम काम करती है।
विजया अपने इस सफर के बारे में आगे बताती हैं साल 2017 तक उन्होने अपने उत्पाद के वैरिंएट और टाइप को अंतिम रूप प्रदान कर दिया था। इसके बाद उन्होने एमेजाॅन मार्केप्लेस के माध्यम से सिरीमिरी उत्पाद की बिक्री के लिए एमेजाॅन सहेली कार्यक्रम में स्वंय को इनरोल किया। जिसके आद उन्होने सिरीमिरी नाम को चुनने का निर्णय लिया।
विजया आगे बताती हैं कि एमेजाॅन सहेली के प्रतिनिधियों ने हमें यह समझने में सहायता की कि किस तरह से समर्पित सहेली के माध्यम से उत्पाद को सूचीबद्ध कर उसे बेचा जाए। बताया कि इस कार्यक्रम से उन्हे व्यापार को कैसे आगे बढ़ाया जाए इन सब की जानकारी मिली और साथ ही उत्पादों की पैकेजिंग, मार्केटिंग और शिपिंग में खासा सहयोग मिला। आख़िर में सिरीमिरी की वज़ह से अपने घरेलू व्यापार को बढ़ता देख उनके पति जो कि ब्रिटिश टेलिकॉम में अच्छी ख़ासी नौकरी पर थे, उन्होंने भी नौकरी छोड़ घर पर ही अपनी पत्नी विजया का हाथ बढ़ाने लगे।