आचार्य आशीष खंकरियाल
वर्ष २०२० का पहला सूर्यग्रहण दिनांक 21 जून २०२०, आषाढ़ मास कृष्ण अमावस्या रविवार मृगशिरा नक्षत्र व मिथुन राशि गत चन्द्रमा में घटित होगा।
ग्रहण का समय
सूतक काल – शनिवार रात 10:24 मिनट से प्रारम्भ
सूर्यग्रहण काल -रविवार सुबह 10:24 बजे प्रारम्भ
सूर्यग्रहण मोक्षकाल – दोपहर 1:48 बजे
ग्रहण का कुल समय – 3 घंटे 25 मिनट 17 सेकंड
यहाँ सूर्य ग्रहण राजनीतिक एवं कूटनीतिक मोर्चे पर विशेष सयमित एवं सावधान रहना का सन्देश देगा। ग्रहण का प्रभाव आम जन मानस पर गहरा पड़ेगा। यह ग्रहण भारत वर्ष में पूर्ण रूप से दृष्टिगोचर होगा यह चूड़ामणि नामक अति महत्वपूर्ण ग्रहण होगा जिस में यंत्र-मंत्र साधना से मानव जीवन की समस्त समस्याओ का निराकरण हो सकेगा। ग्रहण काल में जप-तप और दान करने से गृह पीड़ा से मुक्ति मिलेगी ग्रहण काल में भोजन आदि का निषेध है। बाल वृद्ध रोगियों के लिए यह नियम नहीं है, ग्रहणकाल में स्नान दान बहुत पुर्ण्य दायक कहा गया है। यह ग्रहण मृगशिरा आर्द्रा नक्षत्र मिथुन राशि में होगा अतः अशुभ होने से वृष मिथुन कर्क वृश्चिक मीन राशि वालो को यह ग्रहण नहीं देखना चाहिए।
सांसारिक फल
आषाढ़ मास में ग्रहण होने से वर्षा की स्थिति विकट रहती है। कहीं अति वर्षा कहीं साधारण वर्षा होने से अन्न उत्पादन में कमी रहती है। किसी क्षेत्र विशेष में किसी रोग विशेष का प्रकोप बढ़ने का भय जन-धन की हानि होती है, फल उत्पादन में कमी व फलो का बिना पके गिर जाना या पेड़ में ही नष्ट होने की सम्भावना रहती है।
सत्ता पक्ष में विरोध अनेक राज्यों में सत्तापक्ष को तनाव, नेतृत्व परिवर्तन खाद्य पदर्थो के भावो में तेजी घी तेल आदि की आपूर्ति में बाधाये रहेगी। मिथुन राशिगत सूर्यग्रहण होने से यमुना तट क्षेत्र के लोगो को कष्ट, स्त्री वर्ग को कष्ट, दाम्पत्य जीवन में तनाव व कलेश रहेगा।
ग्रहणकाल में दूषित अदूषित भोजन
पका हुआ अन्न, कटी हुई सब्जी और फल ग्रहण काल में दूषित हो जाते है उन्हें नहीं खाना चाहिए, लेकिन तेल या घी में पका हुआ, तला हुआ अन्न घी, तेल, दही, मक्खनं, पनीर, अचार, चटनी, मुरब्बा में तिल या कुशा रख देने से ये ग्रहण काल में दूषित नहीं होते सूखे खाद्य पदार्थो तिल या कुशा डालने की जरुरत नहीं है।
“वारि तकररनालादि तिल दाभिर्न दुस्यति “ ग्रहण के मोक्ष के बाद स्नान करके ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। ग्रहण मोक्ष के बाद खाया जानने वाला भोजन परान्न न हो यह भी धर्म शास्त्र का निर्देश है – “पश्चाद भुज्यस्ववेश्मनि”
मेषादि बारह राशियों के लिए सूर्यग्रहण का सशिपत्र फल
मेष – उत्साह, कार्यो में सफलता परिश्रम, फल, रुके, कार्यो में सफलता।
वृष – पारिवारिक चिंता, धन सबंधी, परेशानिया, कुटुंबीजनों से विरोध।
मिथुन – स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव, वात विकार, सिरदर्द, दम्पत्य जीवन में तनाव हाथ पैरो में पीड़ा।
कर्क – प्रवास बाहरी सम्पर्को से लाभ, खर्चो में वृद्धि, व्यर्थ परिक्षम।
सिंह – धनलाभ इच्छित कार्यो में सफलता, यश प्राप्ति, राजपक्ष से लाभ।
कन्या – अचानक सफलता, नवीन योजना पर कार्य, प्रभाव शक्ति में वृद्धि।
तुला – धार्मिक कार्यों में सहभागिता, कार्यो में अचानक बाधा।
वृश्चिक – शारीरिक कष्ट दुर्घटना, रोग उत्पति, उदर रोग, स्थान परिवर्तन।
धनु – व्य्स्तता, शारीरिक कष्ट, दैनिक जीवन में भाग दौड़।
मकर – शत्रु दमन, रोग शांति, रुके कार्यों में सफलता, यश प्राप्ति धन लाभ।
कुम्भ – भ्रम अजमंजस की स्थिति, अनिर्णय, गलत संगति, संतान से चिंता।
मीन – शारीरिक कष्ट, तनाव, सामाजिक अपयश, माता पिता को कष्ट, धोखा बनते कार्यो में बाधा।
ॐ शान्ति: !!