आखिर क्यों नहीं चाहते चीन भारत अमेरिका की मध्यस्थता

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लोक संहिता डेस्क

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन और भारत के बीच जारी सीमा विवाद तथा उससे उपजे तनाव के चलते दोनों देशों के बीच मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया था जिसे चीन पहले ही ठुकरा चुका था अब भारत ने भी भारत चीन सीमा विवाद पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मध्यस्थता के प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया कि भारत चीन के साथ अपने सभी विवादित मुद्दों को आपसी बातचीत और शांति के साथ सुलझाने पर यकीन रखता है तथा दोनों देश मिलकर आपस मे इन मुद्दों को सुलझा लेंगे. असल मे अमेरिका मे कोरोना वायरस संक्रमण के कारण एक लाख से अधिक लोग मर चुके हैं तथा संक्रमितों का आंकड़ा लगभग तीन लाख के पास पंहुच चुका है। 

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने चीन में अपनी खुफिया पड़ताल में सबूत पाने का दावा किया है की कोरोना का वायरस चीन के वुहान में वाॅयरोलाॅजी डिपार्टमैंट के लैब से लीक हुआ है तथा अमेरिका ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि अमेरिका ,फ्रांस ,इटली, स्पेन आदि देशों में कोरोना का संक्रमण एक सुनियोजित योजना के तहत फैलाया गया तथा इसका मुख्य निशाना अमेरिकी नागरिकों और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पंहुचाना था। अमेरिका में जिस संख्या में मानव क्षति हुई है तथा अमेरिकी अर्थव्यवस्था को जितना नुकसान हुआ है वह इसके लिए चीन को बड़ा सबक सिखाने के मूड़ मे है और इसके लिए वह भारत को साधने का प्रयास कर रहा है।वहीं भारत इस मामले मे अमेरिका और रूस के बीच फंस सा गया लगता है। 

यद्यपि भारत की नरेन्द्र मोदी सरकार ने विदेश और रक्षा को लेकर स्वंतत्र नीति अपनाई है तथा वह इसको लेकर दूसरे देशों के दबाव मे नही आती है इसका उदारहण तब देखने को मिला था जब भारत ने रूस के साथ मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 की रक्षा खरीद की थी तो अमेरिका ने भारत पर इस सौदे को रोकने के लिए बहुत दबाव डाला था लेकिन भारत ने तमाम अमेरिकी दबाव को दरकिनार कर रूस से यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा था।चीन और भारत के बीच इस समय तनाव चरम पर है और यह तय है कि अगर युद्ध जैसी स्थति उत्पन्न होती है तो रूस चीन के विरुद्ध भारत का साथ नही देगा अपितु अमेरिका अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए भारत का साथ देगा लेकिन भारत भी जानता है कि अमेरिका इस मामले मे कब और कितना साथ देगा इस पर कितना भरोसा किया जा सकता है और भारत खुद ही अपने दम पर चीन का मुकाबला कर सकता है।

दूसरा जब से अमेरिका ने भारत और चीन के विवाद में सीधा हस्तक्षेप किया है चीन की हेकड़ी निकल गई है .युद्ध की धमकी देने वाला चीन अब बातचीत से मसलों को सुलझाने की बात कर रहा है अब तक सीमा विवाद पर गंभीर परिणामों की धमकी देने वाला चीन का सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स अब सहमति और बातचीत की भाषा पर आ गया है । चीन को पता है कि इस बार अगर भारत से युद्ध हुआ तो जापान, वियतनाम ,आस्ट्रेलिया तथा ताइवान भी सीधे युद्ध मे आयेगें तथा अमेरिका के साथ बेहद टकराव के हालातों मे शायद चीन को इस बार संभलने का अवसर ना मिले .यद्यपि भारत जानता है कि अमेरिकी खौफ के चलते चीन के सीमा विवाद पर सुर बदले हैं और वह अपनी चालाकियों से बाज नही आने वाला, लेकिन भारत यहां अमेरिका तथा रूस के साथ सम्बंधों का तारतम्य नही बिगाड़ना चाहता इसलिए भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मध्यस्थता के प्रस्ताव को बेहद शालीनता के साथ ठुकरा दिया है। 

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