केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 464 T-90 टैंकों की खरीद को मंजूरी दी गई। इस रक्षा सौदे पर 13 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। भारत सरकार ने T-90 टैंकों की खरीद में कई शर्तों को शामिल किया है। पहली शर्त यह है कि इन टैंकों का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत चेन्नई में होगा। नए T-90MS की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये रात में भी दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने में सक्षम हैं। इन टैंकों को गुजरात के अलावा जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से लगती सीमा पर तैनात किया जाएगा। इससे भारतीय सेना की ताकत में इजाफा होगा। राजस्थान में पाकिस्तान सीमा पर T-90 टैंक पहले ही तैनात हैं। T-90MS टैंक रूसी T-90 मुख्य युद्धक टैंक का उन्नत प्रारूप है। इसे टैगिल या प्रोरिव के नाम से भी जाना जाता है। इसमें मूल T-90 टैंक की तुलना में कई सुधार किया गया है। इसका रखरखाव और संचालन क्षमता भी पुराने T-90 से बेहतर है। यह टैंक पहली बार 2011 में दुनिया के सामने आया था।
T-90 टैंक को भारत के भीष्म के नाम से जाना जाता है। T-90 का यह प्रारूप टैंक का निर्यात संस्करण है। भारत ने इस मुख्य युद्धक टैंक के 464 यूनिट के खरीद को भी मंजूरी दी है जिसे अगले 3 से 4 साल में सेना को सौंप दिया जाएगा। T-90MS टैगिल मुख्य युद्धक टैंक में एक नया केबिन को जो़ड़ा गया है। जिसका उपयोग टैंक के बाहर गोला बारूद भंडारण के लिए किया जा सकता है। हालांकि, इसका उपयोग टैंक के अंदर से नहीं किया जा सकता है। इस अत्याधुनिक टैंक में में पिछले कॉनकट -5 के स्थान पर नए कंपोजिट कवच के साथ-साथ विस्फोटक रिएक्टिव कवच भी लगा है। इससे टैंक से टकराने वाले विस्फोटक जैसे रॉकेट, मिसाइल, ग्रेनेड, आरपीजी निष्क्रिय हो जाएंगे। इसके अलावा इसमें धुएं को पैदा करने वाला ग्रेनेड लांचिंग सिस्टम भी लगाया गया है। अगर दुश्मन इस टैंक पर लेजर के जरिए निशाना साधने की कोशिश करेगा तो यह ग्रेनेड धुंध फैलाकर दुश्मन के मंसूबे पर पानी फेर देगा। इसके अलावा इसमें प्रयोग हुई नई तकनीकी दुश्मन के एंटी टैंक मिसाइल को भी निष्क्रिय करने में सक्षम है। इस टैंक में ऑटोमेटिक फायर प्रोटक्शन सिस्टम भी लगा हुआ है।
T-90 एमएस टैंक नई 125 मिलीमीटर की उच्च सटीकता वाली स्मूथबोर गन से लैस है। इस गन की रेंज T-90 भीष्म में लगे 2A46M गन की तुलना में ज्यादा है। यह गन APFSDS, HE और HE-FRAG राउंड को फायर करने में सक्षम है। यह टैंक 9M119 रिफ्लेक्स एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को भी फायर कर सकता है। इन मिसाइल की रेंज 4-5 किलोमीटर है। यह टैंक अपने साथ 40 राउंड के गोले लेकर चल सकता है। T-90MS टैंक में गोले को रखने के लिए एक ऑटोलैंडर भी लगा हुआ है। अपने पहले के मॉडल टी 90 भीष्म की तरह यह टैंक भी अपने साथ टैंक के 22 गोले ऑटोलैडर में रखकर ले जा सकता है। ये गोले फायर करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। शेष 18 राउंड के गोलों को विस्फोट के जोखिम से बचाने के लिए एक नए जगह स्टोर किया जा सकता है। इसमें लगा 7.62 मिमी की मशीन गन लगी हुई है जिसे टैंक के अंदर बैठकर ही फायर किया जा सकता है। इस मुख्य युद्धक टैंक को ऑपरेट करने के लिए कमांडर, गनर और ड्राइवर सहित तीन लोगों का दल काम करता है।
T-90MS टैंक में कमांडर अपने लक्ष्य को खोजने के लिए थर्मल विजन डिवाइस का का प्रयोग कर सकता है। लक्ष्य के एक बार निर्धारित होते ही टैंक अपने आप ही निशाने के अनुसार खुद को सेट कर लेता है। इस दौरान कमांडर दूसरे टारगेट की खोज कर सकता है। ऐसा दावा है कि यह टैंक T-90 की तुलना में 15 से 20 फीसदी ज्यादा सटीक फायर कर सकता है। T-90MS टैंक में नया V-92S2F टर्बोचार्ज्ड डीजल इंजन लगा हुआ है। जो 1130 हार्सपावर की शक्ति पैदा करता है। इसमें 7 आगे के गियर के साथ 1 रिवर्स गियर भी दिया गया है। यह टैंक पांच मीटर गहरे पानी को भी आसानी से पार करने में सक्षम है। टैंक में सहायक बिजली इकाई भी लगी हुई है जो इंजन के बंद होने पर भी बिजली सप्लाई को निर्बाध गति से जारी रखती है।