शुक्रवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत समेत थलसेना अध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे के साथ अचानक लेह पहुंचे। चीन की आक्रामक पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के खिलाफ सीमा पर भारत की तैयारियों का जायजा लेने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के जोशीले सैनिकों का हौसला आसमान से भी ऊंचा कर दिया है। माना जा रहा है कि पीएम ने ड्रैगन को सख्त संदेश दे दिया है कि हिन्दुस्तान उसे उसी की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार है।
गुरुवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लद्दाख सेक्टर जाने का फैसला फाइनल किया गया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने इसके लिए सीडीएस बिपिन रावत के साथ चर्चा की थी। पीएम मोदी, अजित डोभाल और सेना अध्यक्ष रहे बिपिन रावत ने एक साथ 2017 में डोकलाम तनातनी के दौरान भी चीन का आक्रामकता का सामना किया था और चीन को पीछे हटने पर मजबूर किया था।
प्रधानमंत्री मोदी को लेह में नॉर्दन आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी और 14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने निमू आर्मी हेडक्वॉर्टर में हालात की पूरी जानकारी दी। पीएम ने निमू में जवानों के साथ मुलाकात की। यह लेह का फॉर्वर्ड इलाका है। करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर पीएम मोदी का इस तरह आकर जवानों से मिलना बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी और सेना के सर्वोच्च अधिकारियों का यहां पहुंचना, पूर्वी लद्दाख में तैनात भारतीय सैनिकों के हौसले को बहुत अधिक बढ़ाने वाला कदम है। पीएम का लेह जाना चीन को साफ और दो टूक संदेश है। ड्रैगन को यह बता दिया गया है कि भारत इस तनातनी और उनकी नापाक हरकतों को किस तरह गंभीरता से ले रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लद्दाख के निमू स्थित फॉरवड पोजिशन पर उपस्थित हैं। इस दौरान उनके साथ CDS जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी उपस्थित हैं। pic.twitter.com/izUcowXjdh
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 3, 2020
गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन से सीमा पर तनातनी को जल्द खत्म करने की अपील की, लेकिन चीनी सीमा पीछे हटने में समय लगाएगी, क्योंकि चीन बातचीत के जरिए समस्या के समाधान के मूड में नहीं दिख रही है। शांति की बातें करते हुए भी पीएलए गलवान, गोगरा, हॉट स्प्रिंग और पैंगोंग त्सो पॉइंट से सैनिकों को पीछे ले जाने में समय लगाने वाला है।
मिलिट्री कमांडर्स के मुताबिक, चीनी सेना अभी भी तनातनी वाले सभी जगहों पर दावा कर रही है। कुछ सैनिकों और गाड़ियों को पीछे ले जाकर वह दिखावा ही कर रही है, लेकिन असल में सैनिकों और हथियारों का जमावड़ा बढ़ाया जा रहा है। पीएलए के सैनिक गलवान घाटी में अड़े हुए हैं और इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहे हैं।