वैश्विक कोरोना महामारी के संकट में भारतीय रेलवे एक के बाद एक नई उपलब्धि अपने नाम कर रहा है. भारतीय रेलवे ने एक ऐसे इंजन का इजात किया है जो बिना बिजली और डीजल के चलाई जा सकती है. यह रेलवे का ट्रेन के इंजन को दौड़ाने के क्षेत्र में एक और कदम आगे बढ़ाया है. भारतीय रेलवे ने बैटरी से चलने वाले इंजन को बनाया है और इसका सफल परीक्षण भी किया है. यानी कुछ ही दिनों में अब बैटरी से चलने वाली ट्रेनें पटरियों पर दौड़ती नजर आ सकती हैं.
रेलवे के अनुसार इस इंजन का निर्माण बिजली और डीजल की खपत को बचाने के लिए किया गया है. भारतीय रेलवे ने बताया कि पश्चिम मध्य रेल के जबलपुर मंडल में बैटरी से चलने वाले ड्यूल मोड शंटिंग लोको ‘नवदूत’ का निर्माण किया गया है, जिसका परीक्षण सफल रहा है. बैटरी से ऑपरेट होने वाला यह लोको, डीजल की बचत के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण में एक बड़ा कदम होगा.
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा, ‘बैटरी से ऑपरेट होने वाला यह लोको एक उज्ज्वल भविष्य का संकेत है, जो डीजल के साथ विदेशी मुद्रा की बचत और पर्यावरण संरक्षण में एक बड़ा कदम होगा.’
रेलवे के जबलपुर मंडल में बैटरी से चलने वाले ड्यूल मोड शंटिंग लोको ‘नवदूत’ का निर्माण किया गया, जिसका परीक्षण सफल रहा।
बैटरी से ऑपरेट होने वाला यह लोको एक उज्ज्वल भविष्य का संकेत है, जो डीजल के साथ विदेशी मुद्रा की बचत, और पर्यावरण संरक्षण में एक बड़ा कदम होगा। pic.twitter.com/9uw3qF0WrW
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) July 7, 2020
हाल ही में रेलवे ने सोलर पावर की बिजली से ट्रेनों को दौड़ाने की बात कही है. रेलवे ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है. मध्य प्रदेश के बीना में रेलवे ने इसके लिए सोलर पावर प्लांट को तैयार किया है. इससे 1.7 मेगा वॉट की बिजली उत्पन्न होगी और सीधे ट्रेनों के ओवर हेड तक पहुंचेगी. भारतीय रेलवे का दावा है कि दुनिया में ऐसा करने वाला भारत पहला देश है. इससे पहले रेलवे के इतिहास में ऐसा किसी भी देश ने नहीं किया है.
पिछले सप्ताह रेलवे ने 2.8 किलोमीटर लंबी मालगाड़ी को पटरियों पर दौड़ाकर कीर्तिमान हांसिल कर दिया. रेलवे ने इस ट्रेन को शेषनाग नाम दिया. इस ट्रेन में चार इंजन लगाए गए थे. ये ट्रेन 251 वैगन के साथ चली. इससे पहले रेलवे ने 2 किलोमीटर लंबी सुपर एनाकोंडा को दौड़ाया था, जिसमें 6000 हॉर्स पावर की क्षमता वाले 3 इंजन लगाए गए थे. इस ट्रेन में 177 लोडेड वैगन थे.