कोरोना वैक्सीन बनाने की दौड़ में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद ( आईसीएमआर ) और मिनिस्ट्री ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के बीच में तालमेल नहीं देखने को मिल रहा है। मिनिस्ट्री ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने अपनी प्रेस रिलीज़ में कहा की कोवेक्सीन और जाइकोव -डी के अलावा पूरी दुनिया में 140 वैक्सीन बनाने के लिए 11 ह्यूमन रिसर्च ट्रायल चल रहे है। ये वैक्सीन को लेकिन 2021 से पहले बड़े पैमाने में उपयोग में नहीं लाया जा सकता। बाद मे मिनिस्ट्री ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने अपनी प्रेस रिलीज़ से वैक्सीन को बड़ी पैमाने में उपयोग में नहीं ला पाने वाली को हटवा दिया था। आईसीएमआर के अनुसार, इस साल 15 अगस्त को कोरोना की वैक्सीन लांच करने की उनकी पूरी कोशिश रहेगी। इस दावे पर कई सारे संगठनों और विपक्षो ने उनके समक्ष काफी सवाल खड़े किये।
आईसीएमआर के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने 2 जुलाई को कोरोना वैक्सीन शोधकर्ताओं को क्लीनिकल ट्रायल को जल्द पूरा करने के लिए आदेश दिए थे ताकि वह लोग 15 अगस्त को विश्व को सबसे पहला कोरोना वैक्सीन दे सके। आईसीएमआर के मुताबिक 7 जुलाई के ह्यूमन ट्रायल के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गयी है। सब ही ट्रायल के सही जाने पर 15 अगस्त को कोरोना की वैक्सीन के लांच होने की आशा है। लेकिन विशेषज्ञों का मन्ना है ऐसा मुमकिन नहीं है के 15 अगस्त तक वैक्सीन की खोज हो सके। इस दावे ने आईसीएमआर की छवि को मैला किया है। और मिनिस्ट्री के मुताबिक भी कोरोना की वैक्सीन 2021 से पहले बनाना असंभव कार्य है। विपक्षी सवालों पर आईसीएमआर का कहना है के लोगो की सुरक्षा और उनके हित के लिए कार्य करना ही उनकी प्रार्थमिकता है।