बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई स्थित जेजे अस्पताल को एक मेडिकल बोर्ड बनाने और इस बात का आकलन करने का निर्देश दिया है कि यौन शोषण की वजह से 24 सप्ताह की गर्भवती हुई नाबालिग पीड़िता का बिना किसी स्वास्थ्य जोखिम के गर्भपात कराया जा सकता है या नहीं। न्यायमूर्ति एसजे काठवाला ने शुक्रवार को इसे लेकर निर्देश दिए। पीड़िता ने अदालत से कहा कि वह मानसिक खिन्नता में है और वह गर्भपात कराना चाहती है ताकि अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे सके। अदालत ने नाबालिग की मां की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई की। मां ने उच्च न्यायालय को बताया कि पुलिस पहले ही आरोपी के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज कर चुकी है।
याचिका के अनुसार वर्तमान में 17 साल की नाबालिग पिछले साल नवंबर में अपने माता-पिता के घर से भाग गई थी। वह जनवरी 2020 में अपने घर पहुंची और मई में पेट में दर्द होने के बाद उसे अहसास हुआ कि वह गर्भवती है। लड़की के अनुसार माता-पिता के घर से भागने के बाद उसे नवी मुंबई में पास एक फैक्ट्री में नौकरी मिल गई थी। आरोपी उसी फैक्ट्री में काम करता है। अदालत ने जब लड़की से पूछा कि नाबालिग होने के बावजूद उसे फैक्ट्री में नौकरी कैसे मिल गई तो उसने न्यायमूर्ति काठवाला को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बताया कि उससे किसी भी तरह के दस्तावेज नहीं मांगे गए थे। उसने अदालत को बताया कि गर्भवती होने के कारण वह मानसिक पीड़ा से गुजर रही है और इसीलिए वह गर्भपात कराना चाहती है। न्यायमूर्ति काठवाला ने लड़की को शनिवार को चिकित्सा मूल्यांकन के लिए बोर्ड के समक्ष जाने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा, ‘बोर्ड अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करेगा, जिससे यह निर्धारित किया जाएगा कि गर्भपात करना उचित होगा या नहीं। बोर्ड रिपोर्ट में यह भी उल्लेख करेगा कि क्या इससे वाई (पीड़िता) के जीवन पर किसी तरह का जोखिम है या नहीं।’