व्यापारिक दृष्टि से देखा जाए तो भारत चीन से अपना दामन पूरी तरह से खीँचने की तैयारी में है, हाल ही में भारत में चीन निर्मित उत्पादों से लेकर 59 चीनी एप्स को पूरी तरह से प्रतिबंध लगाए जाने के बाद सरकार 4जी एवं वाई-फाई नेटवर्क विस्तार में सिर्फ स्वदेशी उपकरणों के इस्तेमाल का नियम ला सकती है। टेलीकॉम क्षेत्र में चीन से आयात किये गए उपकरणों के इस्तेमाल को कम किए जाने को लेकर सरकार यह नियम लाने पर गहनता से विचार कर रही है। देश के औद्योगिक संगठनों ने भी सरकार से इन मानकों को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की है। ग़ौरतलब है कि सरकार ने सोलर बिजली के लिए चीन के उपकरणों के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगाने का फैसला किया है। बता दें, टेलीकॉम के क्षेत्र में डाटा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा को लेकर चीन के उपकरणों के इस्तेमाल पर पहले से ही सवालिया निशान लगते रहे हैं।
सूत्रों के के हवाले से ख़बर है कि, 4जी नेटवर्क एवं वाई-फाई विस्तार से जुड़े टेंडर में दो प्रकार के मानकों पर विचार किया जा रहा है। इन टेंडर में 70 फ़ीसदी काम उन कंपनियों को दिया जा सकता है जिनके उपकरण मेक इन इंडिया हैं। अगर कोई विदेशी कंपनी भारत में अपनी यूनिट स्थापित कर उपकरण का असेंबलिंग भी करती है तो उसे मेक इन इंडिया मान लिया जाएगा। 30 फ़ीसदी काम उन कंपनियों के लिए आरक्षित हो सकता है जिनके उपकरण पूरी तरह से भारत में डिजाइन होने के साथ भारत में ही विकसित व बनाये गए हों।
टेलीकॉम क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के मुताबिक अब तक 3जी, 4जी व वाई-फाई नेटवर्क से जुड़े टेंडर में इस प्रकार की शर्तें जोड़ दी जाती थीं कि घरेलू कंपनियां टेंडर में हिस्सा नहीं ले पाती थीं। फलस्वरूप यह हुआ कि जेडटीई, सिस्को, एरिक्सन, हुआवे जैसी विदेशी कंपनियां भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र में हावी होती चलीं गई। बीएसएनएल के 4जी विस्तार से जुड़े टेंडर में चीन की कंपनियों को रोकने के फैसले से यह साफ हो गया है कि सरकार टेलीकॉम क्षेत्र में चीन के उपकरणों के इस्तेमाल को पूरी तरह से सीमित करने के पक्ष में है।
औद्योगिक संगठन पीएचडी चैंबर के टेलीकॉम कमेटी के चेयरमैन संदीप अग्रवाल का कहना है कि संगठन ने वाई-फाई, राउटर और 4जी से जुड़े चीनी उपकरणों के आयात पर तत्काल तौर पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। सरकार की तरफ से इस दिशा में सकारात्मक फैसला लेने का आश्वासन भी दिया गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारत ऑप्टिकल फाइबर केबल व अन्य प्रकार के टेलीकॉम केबल के निर्माण में पूरी तरह से सक्षम है। ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि शुरू-शुरू में केबल बनाने वाली छोटी-छोटी कंपनियों को सरकारी टेंडर में हिस्सा लेने के अवसर प्रदान किये गए। सूत्रों के मुताबिक सरकार फिर से इस प्रकार के नियम ला सकती है जिसके तहत टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली पूरी तरह से भारतीय कंपनी को टेंडर में हिस्सा लेने का अवसर मिल सके।