चीन के साथ चरम पर तनाव

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भारत तथा चीन के बीच लद्दाख क्षेत्र, अरुणाचंल प्रदेश तथा उत्तराखण्ड की सीमा पर तनाव बढ गया है। जहां एक और नई दिल्ली में केन्द्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सेना के उच्च पदस्थ अधिकारियों के साथ बैठक की है तथा सेना को भारतीय सीमा के अंदर बार्डर एरिया में सड़क आदि नेटवर्क को हर हाल में पूरा करने को कहा है। भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत चीन की गीदड़ भभकी से डरने वाला नही है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे से भी चीन के साथ लगती लद्दाख सीमा पर भारतीय सेना द्वारा की जा रही कार्यवाही पर जानकारी ली है। वहीं दूसरी ओर आज नई दिल्ली में सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भारतीय रक्षा कमांडरों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक करने वाले हैं।

वहीं रक्षा सूत्रों से छनछन कर आ रही रिपोर्टों केअनुसार चीनी सैनिकों ने भारत की सीमा के पास मजबूत बंकर बनाए हैं तथा चीनी सैनिकों ने वहां लम्बें समय तक रहने के लिए मजबूत टैंट गाड़ दिए है। सामरिक विशेषज्ञों की मानें तो चीन ने यहां भारत को लम्बें समय तक उलझाने के लिए तथा विश्व स्तर पर कोरोना वायरस को लेकर उसके खिलाफ बने माहौल से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए यह चाल चली है, लेकिन शायद इस बार चीन अपने ही बुने जाल में फंसने वाला है। अमेरिकी संसद में चीन द्वारा कब्जाये गये तिब्बत को आजाद कराने को लेकर प्रस्ताव भी आ चुका है, जिससे जाहिर होता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी चीन को सबक सिखाने तथा उससे दो दो हाथ करने का मन बना लिया है। असल में चीन नही चाहता कि भारत सीमाक्षेत्र तक सड़कों के साथ ही संचार नेटवर्क आदि का मजबूत ढांचा खड़ा कर सके। इसके तहत वह लद्दाख और सिक्किम के पास भारतीय सीमा पर आक्रामक व्यवहार कर रहा है।

सूत्रों के अनुसार चीन ने इन जगहों पर अपने पांच हजार सैनिक तैनात कर रखे हैं, जबकि भारत की और से सीमा पर तनाव ना बढाने के मकसद से लगभग डेढ सौ भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के जवान वहां तैनात थे। सूत्रों के अनुसार चीन के सैनिको ने भारतीय जवानों के ऊपर पथराव किया इसके साथ ही कंटीले तार तथा डंडे भी चीन के सैनिको ने उपयोग किए रक्षा विशेषज्ञों ने चीन की सेना के इस व्यवहार की तुलना जम्मू कश्मीर में कुछ पाकिस्तान परस्त पत्थर बाजों से करते हुए चीन के सैनिकों के इस व्यवहार को गैर पेशेवर सैनिकों जैसां बताया। वहीं भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन के साथ सीमा पर बढते तनाव के बीच शीर्ष सैन्य कमांडरो के साथ हालात की समीक्षा को लेकर बैठक कर चुके हैं।

वहीं कोरोना वायरस संक्रमण के विश्वव्यापी प्रसार को लेकर दुनिया के निशाने पर आ चुके चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग ने चीन की सेना पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के अधिकारियों के साथ एक बैठक की जिसमे राष्ट्रपति शी जिन पिंग ने अपनी सेना को युद्ध के लिए तैयार रहने, अपनी युद्धक क्षमता बढाने तथा सीमा पर रणनीतिक तैयारियों में तेजी लाने का निर्देश दिया है। चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के जवानों को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति शी जिन पिंग ने चीन के सैनिकों से आगे कठिन परस्थितियों के लिए तैयार रहने की बात भी कही है। असल में चीन यहां एक ओर तो कोरोना वायरस संक्रमण से त्रस्त दुनिया का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है, साथ ही वह भारत को सीमावर्ती क्षेत्रों में आधारभूत ढांचा खड़ा करने से रोकने के लिए इस तरह की पैंतरेबाजी पर उतर आया है। लेकिन लगता है कि इस बार भारत भी चीन के दबाव के आगे पीछे हटने को तैयार नही है। भारत और चीन के बीच सिक्किम ,लद्दाख ,अरुणाचंल प्रदेश में तनाव बढता जा रहा है ।यह तनाव साल 2017 के भूटान के पास स्थित डोकलाम विवाद की याद को ताजा करता है, जब लगभग साठ दिनों तक दोनों देशों की सेनायें आमने सामने डटी हुई थी।

।।विभू ग्रोवर।।

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