भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 1 लाख से ऊपर पंहुच चुके हैं, तथा हर रोज कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सीमित संख्या में ही सही बढ रहे हैं, और यहां इसमे मामले में चिंता इसलिए अधिक बढ जाती है कि लम्बें लॉक डाउन के बाद केन्द्र सरकार के निर्देशों के तहत जब लॉक डाउन में राज्य सरकारें ढील देने का निर्णय ले रहीं हैं तब सामुहिक कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या में तेजी आने का खतरा बन जाता है। अगर लॉक डाउन के दौरान ही देखें तो देश भर में जो तस्वीर देखने को मिली वह हैरान और हतप्रभ कर देने वाली रही हैं।
शुरुआत अगर घरेलू आवश्यक खाद्य सामग्री की खरीद से करें तो किराना स्टोरों पर राशन आदि की खरीद में आवश्यक सामाजिक दूरी जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो गज की दूरी कहा है उसका जरा भी अनुपालन नही हो रहा है। इसके साथ ही शाक सब्जियाँ की रेहड़ी तथा फड़ौं पर लोग झुण्ड में सब्जियाँ खरीदते दिख रहे हैं। लॉक डाउन तीन में राज्यों के निवेदन पर केन्द्र द्वारा शराब की दुकाने खोलने की छुट दी गई थी। असल में राज्यों को लम्बे लॉक डाउन के बाद अपने राजस्व बढाने की भी चिंता थी राज्य कर्मचारियों के वेतन भत्ते साथ ही सरकार के दूसरे मदों पर खर्च के लिए पैसे की आवश्यक्ता होती है तथा सरकार को मुख्यतः शराब की बिक्री और खनन से मोटी आमदनी राजस्व के रूप में मिलती है। इसी आधार पर राज्यों की मांग पर केन्द्र से शराब की दुकाने खोलने की मिली छूट के दौरान शराब खरीदने के लिए उमड़े अथाह जन सैलाब ने शराब की बिक्री तो जमकर कराई लेकिन सोशल डिस्टेंस के निर्देशों को भी लोगों द्वारा तार-तार करते देखा गया और शराब की दुकानों पर उमड़ा यह जन सैलाब इकलौते एक राज्य या एक क्षेत्र की ना होकर अखिल भारतीय स्तर पर इस प्रकार की तस्वीरें दिखाई दी थीं।
क्या इस तरह की घटनाएं कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों को बढाने मे सहायक होंगी। भारत जैसें देश में अगर कोरोना वायरस संक्रमण का प्रसार सामुदायिक स्तर पर प्रसारित हुआ तो फिर स्थिति बेहद खराब हो सकती है। असल में लोक लॉक डाउन में ढील को कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार में कमी अथवा कोरोना महामारी के खत्म होने के तौर पर देख रहे हैं और कहीं ना कहीं यह एक बेहद गलत धारणा है, हां इतना जरूर है कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने समय रहते बेहतर रणनीतिक फैसले कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने की खातिर लिए जिसमें राज्यों का भी बेहतर सहयोग इसको लेकर केन्द्र सरकार को मिलाA जहां दुनिया की महाशक्ति अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मृतकों का आंकड़ा लगभग एक लाख को छूने वाला है तथा लाखों लोग वहां कोरोना वायरस से संक्रमित हैं, इस लिहाज से भारत की दूसरे देशों से तुलना करें तो भारत में कोरोना वायरस से संक्रमितों की कुल संख्या मंगलवार सुबह तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकडौं के मुताबिक 1 लाख 1 हजार 139 पंहुच गई है।
लेकिन इस मामले मे राहत देने वाली बात यह भी है कि इन कोरोना वायरस संक्रमित लोगों में से 39,174 मरीज अस्पतालों में उपचार कराने के बाद ठीक होकर अपने घरों को लौट चुके हैं। वहीं भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते अपनी जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 3163 तक पंहुच गई है। केन्द्र तथा राज्यों की सरकारें अपने स्तर से रणनीतिक सामंजस्य के साथ बेहतर कार्य कर रहीं हैं लेकिन अब देश के नागरिकों को जिम्मेदारी लेने की आवश्यक्ता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने देश के नाम संदेशो मे हाथ जोड़कर विनती करते रहे हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पूर्ण रूप से पालन करें, लेकिन कुछ लोग इन नियमों का पालन करने को तैयार नही दिखाई दे रहे हैं वे नही जानते कि उनके लिए कोरोना वायरस का संक्रमण कितना घातक सिद्ध हो सकता है, उनकी इस लापरवाही का खामियाजा वे खुद उनके परिवार तथा उनके समाज के साथ ही देश को भी भुगतना पड़ सकता है और जो लोग कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को हल्के मे ले रहे हैं, उनको एक बार अमेरिका और इटली स्पेन के हालात देख लेने चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कह चुका है कि दुनिया को अब कोरोना वायरस के साथ जीने की आदत डालनी होगी आर्थात अपना और अपने परिवार, समाज और देश के लिए उत्तरदाई बनकर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पूर्णतः पालन करने की आवश्यक्ता है।
।।विभू ग्रोवर।।